हर वर्ष 23 मार्च को शहीद दिन के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा इसी दिन भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा दी गई थी। हमारे देश में बहुत सारे क्रांतिकारी पैदा हुए और इन क्रांतिकारियों ने देश को गुलामी से मुक्त कराने के लिए अपनी बलि तक दे डाली। आज का दिन शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का दिन है ।आज हम जिस आजादी से जी रहे हैं उस आजादी के पीछे इन्हीं शहीदों का बलिदान है।
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क्रांतिकारियों की जानकारी(शहीद दिन)
शहीद भगत सिंह
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब राज्य में हुआ था। भगत सिंह की मां का नाम विद्यावती तथा पिताजी का नाम किशन सिंह था। उनका परिवार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल था। जलियांवाला हत्याकांड तथा गांधी जी द्वारा किए गए असहयोगआंदोलन ने भगत सिंह को झकझोर दिया था। भगत सिंह का ऐसा सोचना था कि अंग्रेज इतनी आसानी से देश को आजाद नही करेगे, और हिंसक तरीके से ही देश को आजाद किया जा सकता है। अपने संगठन समूह से प्रेरित होकर उन्होंने अपने विचार को लोगों के साथ साझा करना शुरू किया। इसी हेतु 1926 में नौजवान भारत सभा की स्थापना की गई और वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन संघ के सदस्य भी बने।
भगत सिंह की मौत की सजा
भगत सिंह को सन 1928 में सैंडर्स की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई। उन पर कई दिनों तक मुकदमा चला।शहीद भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी थे। उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी की सजा दी गई थी। इसके संबंध में भगत सिंह और उनके सहयोगियों ने महात्मा गांधी जी से मृत्युदंड को समाप्त करने का अनुरोध किया। परंतु मौत की सजा को पलटा नहीं जा सका। 23 मार्च 1931 के दिन गांधी जी ने लॉर्ड वोइसराय इरविन को पत्र लिखा जिसमे उन्होंने अनुरोध किया कि तीनों की फांसी की सजा रद्द कर दी जाए।
शहीद राजगुरु
उनका पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु था। उनका जन्म 24 अगस्त 1908 को पुणे जिले के खेड़ में हुआ था और उनका निधन 23 मार्च 1931 को लाहौर में हुआ था। एक क्रांतिकारी के रूप में जन्मे, उन्होंने अपना जीवन भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए बिताया। एक महान क्रांतिकारी के रूप में, वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी में शामिल हो गए। इस क्रांतिकारी कार्य में उन्हें कई सहयोगी मिले।
उन्होंने एक क्रांतिकारी संगठन शुरू किया और अपने देश भारत की आजादी के लिए काम करना शुरू कर दिया। लाला लाजपत राय को पुलिस अधिकारी जेम्स स्कॉट ने पीटा था। हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।आठ दिन बाद हमले में घायल हुए लाला लाजपत राय की मौत हो गई।इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप, भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव ने स्कोरर जेम्स स्कॉट की हत्या की साजिश रची। इन तीनों को आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई थी।
क्रांतिकारी सुखदेव
वे एक क्रांतिकारी के रूप में सभी भारतीयों के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 15 मई 1907 को हुआ था और उनका निधन 23 मार्च 1931 को हुआ था। उनका पूरा नाम सुखदेव रामलाल थापर था। उनका जन्म लुधियाना, पंजाब में हुआ था। पिता का नाम रामलाल थापर तथा माता का नाम श्रीमती हरल्ली देवी था।
सुखदेव ने नौजवान भारत सभा में भाग लिया था। अंग्रजों द्वारा भारतीय लोगों पर किए गए उत्पीड़न के कारण उन्होंने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र कराने का सपना देखा था। इसीलिए वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन संघ में शामिल हो गए थे। यह एक ऐसा संगठन था जिसने भारत माता की आजादी के लिए अपने बलिदान तक दे डाले।उन्हें एक अच्छे कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने भारतीय लोगों को अंग्रेजी गुलामी से मुक्त करने के लिए कठोर प्रयास किए।
इन महान क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाई जाता है। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले इन महान क्रांतिकारियों को नमन! उन्हें नमन! इस शहीद दिवस के अवसर पर मैं उनके चरणों में सिर झुकाता हूं, उनके विचारों को सिर झुकाकर उन्हें नमन करता हूं, और सभी को जय हिंद!
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