KUTIR UDYOG 2022 | कुटीर उद्योग किसे कहते है ,फायदे और महत्व

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कुटीर उद्योग
कुटीर उद्योग

KUTIR UDYOG 2022 ,कुटीर उद्योग किसे कहते है ,फायदे और महत्व

मित्रों आज के लेख के अंतर्गत कुटीर उद्योग(KUTIR UDYOG) किसे कहते है, कुटीर उद्योग के कितने प्रकार होते हैं, और कुछ प्रमुख कुटीर उद्योगों की सूची के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

🔆 कुटीर उद्योग किसे कहते हैं?

साथियों दिन पर दिन भारत की जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण आज  जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान हो गया। साथ ही साथ विशेषज्ञों का तो ऐसा मानना है कि अगर इसी दर से जनसंख्या बढ़ती रही तो पूरे विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का नंबर वन स्थान हो जाएगा। परंतु ऐसी दर से बढ़ने वाली जनसंख्या भारत के विकास में बाधक बन सकती है।

इस विशाल जनसंख्या वाले देश में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने की दृष्टि से कुटीर उद्योगों का बहुत बड़ा महत्व है। कुटीर उद्योगों को शुरू करने के लिए बहुत ही कम पूंजी की आवश्यकता पड़ती है साथ ही साथ इस उद्योग में काम करने वाले अधिकतर लोग एक ही घर के पाए जाते हैं। इस उद्योग में ऊर्जा के रूप में बिजली की कम मात्रा की आवश्यकता पड़ती है तथा तैयार किया गया माल स्थानीय बाजारों में आसानी से बिक जाता है।

🔆 प्राचीन काल में कुटीर उद्योगों की स्थिति

प्राचीन काल से ही कुटीर उद्योगों को  भारत में महत्व मिलता रहा है। देश के आजादी के पहले से ही तांबे और पीतल के बर्तन बनाना, सोने के आभूषण बनाना, कपड़े बनाना, हाथी के दांत की बनी आकर्षक वस्तुएं जैसे अनेक उद्योग देशभर में बहुत जोर -शोर से चल रहे थे।अंग्रेजों के शासन काल से ही भारत में बनी सूती और रेशमी वस्त्रों, शालों, गलिचों आदि की विदेशों में बहुत मांग थी। भारत में बनी अनेक वस्तुओं को इंग्लैंड में बनी वस्तुओं के साथ स्पर्धा लेनी पड़ती थी। इस प्रकार अंग्रेजों द्वारा निर्धारित की गई व्यापार नीति और आर्थिक निति भारतीय कुटीर उद्योगों के लिए घातक सिद्ध हो रही थी। इन्हीं कारणों से भारतीय कुटीर उद्योग धीरे-धीरे गायब होते गए।

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🔆 वर्तमान समय में कुटीर उद्योग की स्थिति

भारत एक कृषि प्रधान देश माना जाता है। भारत की आर्थिक व्यवस्था कृषि पर ही निर्भर है। कुटीर उद्योगों के कारण गांव में रहने वाले किसानों के आर्थिक रहन-सहन का स्तर भी बढ़ा है। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या इतनी बढ़ गई है कि उसके अनुपात में कुटीर उद्योग पर्याप्त नहीं है। कहने का तात्पर्य यह  है  कि रोजगार की संख्या में कमी आ रही है और बेरोजगारी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी की समस्या से मुक्ति प्राप्त करने के लिए सरकार दिन पर दिन ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों के विकास पर विशेष कार्य कर रही है।

🔆 कुटीर उद्योग का महत्व या विशेषताएं

कुटीर उद्योग के व्यवसाय के लिए लोगों को घर के बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसे काम अक्सर घरों में ही पूरी तरह से कर लिए जाते हैं। कुटीर उद्योगों को चलाने के लिए बहुत ही कम पूंजी की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे उद्योगों को चलाने के लिए साधारण तकनीकी  जानकारी और स्थानीय कला कौशल की ही जरूरत पड़ती है। ऐसे उद्योग खेती के पूरक धंधे के रूप में लाभदायक साबित होते हैं। इसीलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि कुटीर उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को एक ठोस आधार प्रदान कर सकते हैं।

🔆 कुटीर उद्योगों के प्रकार

ग्रामीण कुटीर उद्योग तथा नगरी कुटीर उद्योग ये दोनों कुटीर उद्योग के मुख्य प्रकार है।   मुर्गियां पालना ,कंबल बुनना ,कपड़ा  बुनना ,बांस की चीजें बनाना, मधुमक्खी पालन ,कालीन बनाना जैसे इत्यादि कुटीर उद्योगों के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा ईंटे बनाना, चमड़ी के सामान बनाना, आभूषण बनाना, रसिया बनाना, बढ़ईगिरी, लोहारी, मिट्टी के बर्तन बनाना , लकड़ी या  हाथी दांत के सामानों पर नक्काशी करना ,खिलौने बनाना जैसे इत्यादि  कुटीर उद्योग प्रसिद्ध है।

कुटीर उद्योग

🔆 लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग में अंतर

कुटीर उद्योग बहुत ही कम पूंजी वाला उद्योग माना जाता है जबकि लघु उद्योग में इसकी अपेक्षा अधिक पूजी लगानी पड़ती है। इसके साथ ही साथ लघु उद्योग में कच्चा माल तथा तकनीकी कुशलता बाहर से प्राप्त की जा सकती है इसके विपरित कुटीर उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल एवं कुशलता का प्रयोग होता है।

🔆 कुटीर उद्योगों के विकास में आने वाली अड़चने या समस्याए

कुटीर उद्योगों को चलाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है। इन कच्चे माल की नियमित पूर्ति न होने के कारण कुटीर उद्योगों के सामने अड़चनें पैदा हो जाती है। पूंजी कम होने के कारण कुटीर उद्योगों के संचालकों को साहूकारों अथवा दलालों की शरण लेनी पड़ती है। पूंजी की कमी के कारण कुटीर उद्योगों को नए सुधारित यंत्रों का लाभ नहीं मिल पाता है। बड़े बड़े कारखानों में मशीनों पर तैयार किए गए सस्ते माल से भी इन्हें स्पर्धा करनी पड़ती है।

🔆 कुटीर उद्योग का ध्येय

  👉 लोगों को आत्मनिर्भर बनाना

👉 देश के प्रगति में सहायता करना

👉 काम हेतु अलग प्रांतों या विदेशों के लिऐ होने वाले पलायन को रोकना

👉 देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करना।

 🔆 कुछ प्रमुख कुटीर उद्योगों की सूची या लिस्ट

👉 मधुमक्खी पालन का उद्योग

👉 आचार बनाने का उद्योग

👉 मछली पालन का उद्योग

👉 भेड़ और बकरी पालन

👉 अगरबत्ती बनाने का उद्योग

👉 मसाला बनाने का उद्योग

👉 नमकीन बनाने का उद्योग

👉 मुर्गियां पालन का उद्योग

👉 पत्तल बनाने का उद्योग

👉 पापड़ बनाने का उद्योग

🔆 सामाजिक   कर्त्तव्य

कुटीर उद्योगों को आर्थिक आधार देने की आवश्यकता है। हमें इनकी उत्पादन क्षमता और  स्पर्धा शक्ती  बढ़ाने होगी। कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित की गई वस्तु या सामानों को बाजार में पहुंचाकर उन्हें वाजिब कीमत प्रदान करनी होगी।

🔆 निष्कर्ष

 तो मित्रों  इस प्रकार  आज के लेख के अंतर्गत हमने  कुटीर उद्योग किसे कहते है, कुटीर उद्योग के कितने प्रकार होते हैं, और कुछ प्रमुख कुटीर उद्योगों की सूची के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। यदिआपको इस लेख के अतर्गत कोई मुद्दा समझ में  नही आया हो तो आप मुझे कॉमेंट कर सकते है। मैं आपके प्रश्न का उत्तर जल्द से जल्द देने का प्रयत्न करूंगा।

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