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PREMATURE BIRTH: जानिए क्या होता प्रीमेच्योर बर्थ और इससे जुड़ी कई सारी समस्याएं
साथियों आज के लेख में आपको बताने वाला हूं कि प्रीमेच्योर बर्थ क्या होता है? प्रीमेच्योर पैदा होने वाले बच्चों में कौन-कौन से लक्षण दिखाई देते हैं? साथ ही साथ प्रीमेच्योर बर्थ से कौन सी जटिलताएं जुड़ी है। पूरी जानकारी जानने के लिए आप इस लेख में अंत तक बने रहें।
PREMATURE BIRTH किसे कहते है |
साथियों आपको बताना चाहूंगा कि हर वर्ष 17 नवंबर को प्रीमेच्योरिटी डे के रूप में मनाया जाता है। जब किसी बच्चे का जन्म एक निर्धारित समय से कम से कम 3 से लेकर 4 हफ्ते पहले हो जाता है तो ऐसी स्थिति को प्रीमेच्योर बर्थ के नाम से जाना जाता है। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि जब किसी बच्चे का जन्म 37 सप्ताह पूरा किए बिना ही उसके पहले हो जाता है तो वह प्रीमेच्योर बर्थ की स्थिति बन जाती है। जिन बच्चों का जन्म एक निर्धारित समय के पहले हो जाता है उन्हें जीवन में काफी सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ समस्याएं कम समय के लिए होती है तो कुछ समस्याएं दीर्घ समय के लिए होती है।
प्रीमेच्योर पैदा (PREMATURE BIRTH) होने वाले बच्चों में कुछ सामान्य लक्षण
-प्रीमेच्योर बर्थ के कारण बच्चों का पूरी तरह से शारीरिक विकास नहीं हो पाता है।
-ऐसी स्थिति में अक्सर जन्मे शिशु का तापमान कम होता है।
–PREMATURE BIRTH की स्थिति में जन्मे बच्चे का वजन भी कम होता है।
-ऐसी स्थिति में बच्चे का सिर उसके शरीर के मुकाबले में ज्यादा बड़ा होता है।
–प्रीमेच्योर की स्थिति में पूरे शरीर पर महीने बाल दिखता है।
-बच्चे या व्यक्ति में सजगता की कमी पाई जाती है।
-चूसने और निकलने में दिक्कत होती है जिनके कारण बच्चे को दूध पीने में परेशानी होती है।
प्रीमेच्योर बर्थ से जुड़ी कुछ समस्याएं
ऐसी स्थिति में बच्चों में कई सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती है। कुछ समस्या शॉर्ट टर्म होती है तो कुछ समस्याएं long-term के लिए होती है।
आइए कुछ शार्ट टर्म हेल्थ प्रॉब्लम के बारे में जानकारी प्राप्त करें–
-धीरे-धीरे इम्यूनिटी क्षमता कमजोर हो जाती है।
-अक्सर ऐसी स्थिति में बच्चे या व्यक्ति में सांस लेने में समस्या उत्पन्न होती है।
-कई सारी दिमाग की समस्याएं उत्पन्न होती है।
-ऐसी स्थिति में बच्चे का तापमान बहुत ही कम रहता है ।
-प्रीमेच्योर बर्थ के कारण पीलिया और एनीमिया जैसी बीमारी भी जन्म लेती है।
-कई सारी मेटाबॉलिज्म से संबंधित भी समस्याएं पैदा हो जाती है।
आइए कुछ लोंग टर्म हेल्थ प्रॉब्लम के बारे में जानकारी लेते है।
-इस स्थिति के कारण दांत संबंधी समस्याएं भी पैदा हो जाती है।
-भविष्य में पढ़ने लिखने से लेकर सीखने जैसी समस्याएं भी पैदा होती है।
-व्यक्ति या बच्चे को देखने में भी कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती है।
-व्यक्ति या बच्चे में सुनने जैसी समस्याएं भी पैदा हो सकती।
-सेरेब्रल पाल्सी जैसी समस्याएं प्रीमेच्योर बर्थ के कारण हो सकती है।
-कई बार व्याहारिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी नजर आती है।
-क्रॉनिक हेल्थ इश्यूज जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
प्रीमेच्योर बेबी की देखभाल किस प्रकार होती है
जैसे कि आप जानते हैं कि प्रीमेच्योर बेबी एक निर्धारित अवधि के पहले जन्म ले लेता है।जन्म लेते ही ऐसे बच्चे को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि बच्चे ने निर्धारित समय के पहले जन्म लिया है तो अस्पताल प्रशासन उस बच्चे को चार-पांच दिनों के लिए अस्पताल में ही रखता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को मां के गर्भ जैसे माहौल देने के लिए NICU यानी न्यूनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा जाता है। डॉक्टर और नर्स की एक बेहतरीन टीम ऐसी स्थिति पर नजर बनाई रखती है। कभी-कभी बच्चे के जन्म लेने के बाद बच्चे को दूध पीने में दिक्कत हो सकती है ,ऐसी स्थिति में डॉक्टर और नर्स आपको इसके लिए विशेष ट्रेनिंग देती है।
सारांश :
तो साथियों इस प्रकार आज के इस लेख के माध्यम से हमने जाना की साथियों आज के लेख में आपको बताने वाला हूं कि प्रीमेच्योर बर्थ क्या होता है? प्रीमेच्योर पैदा होने वाले बच्चों में कौन-कौन से लक्षण दिखाई देते हैं? साथ ही साथ प्रीमेच्योर बर्थ से कौन सी जटिलताएं जुड़ी है। पूरी जानकारी जानने के लिए आप इस लेख में अंत तक बने रहें,इसके लिए आपका कोटि- कोटि धन्यवाद !!
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