SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI |शिवाजी महाराज जयंती निबंध व भाषण

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CHHATRPATI SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI
CHHATRPATI SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI

साथियों आज के इस आर्टिकल के अंतर्गत हम छत्रपति शिवाजी महाराज (SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)के जीवनी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने वाले है। पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप मेरे साथ इस आर्टिकल में  अंत तक बने रहे।

प्रस्तावना (SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम एक बहादुर और बुद्धिमान शासक के रूप में जाना जाता है।प्रखर बुद्धि के साथ-साथ छत्रपति शिवाजी महाराज अपने जनता के लिए एक दयालु शासक के रूप में भी जाने जाते हैं। उनका जन्म 19 फरवरी 1627 को मराठा परिवार में महाराष्ट्र के शिवनेरी में हुआ था। शिवाजी के माता जी का नाम जीजाबाई और पिताजी का नाम शाहजी था। बचपन से ही शिवाजी धार्मिक विचारों वाली अपनी  माता की छत्रछाया में बड़े हुए। जीजाबाई ने शिवाजी को धार्मिक शिक्षा के साथ निडर होकर जीना सिखाया।

शिवाजी का बचपन और शिक्षा(SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

बचपन से ही शिवाजी महाराज को रामायण ,महाभारत और बहुत सारे वीर गाथाओं को सुनने का शौक था। कम आयु में शिवाजी ने धर्म, संस्कृति और राजनीति संबंधी अनेक प्रकार के ज्ञान को प्राप्त किया। इतिहास में ऐसा लिखा है की बचपन में शिवाजी अपने  आयु के सभी बालको को इकट्ठा करते थे और उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे। उस  युग में परम संत रामदेव के संपर्क में आने की वजह से शिवाजी महाराज पूर्ण रूप से राष्ट्रप्रेमी, कर्तव्य परायण  तथा कर्मठ योद्धा बन गए थे। उनके  गुरु दादा कोण देव ने शिवाजी महाराज को सभी प्रकार के युद्ध में निपुण बनाया ।

शिवाजी महाराज का परिवार(SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

शिवाजी महाराज का विवाह सन 14 मई 1640 में सईबाई निंबालकर के साथ हुआ। उनके पुत्र का नाम संभाजी था। संभाजी ने 1680 से लेकर 1689 तक राज्य किया। आगे चलकर संभाजी की शादी येसुबाई नामक महिला से हुई। संभाजी के पुत्र का नाम राजाराम था जो आगे चलकर संभाजी के उत्तराधिकारी बने।

शिवाजी महाराज का पराक्रम(SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

जैसे  ही शिवाजी महाराज ने पुरंदर और तोरण का किला जीता वैसे ही उनके नाम की चर्चा सारे दक्षिण में फैल गई। यह खबर आगरा और दिल्ली तक जा पहुंची। शिवाजी के इस बढ़ते हुए कद  को देखकर बीजापुर के शासक आदिलशाह ने शिवाजी को पूरी तरह से बंदी बनाने का प्रयत्न किया, पर वह अपने कार्य में सफल न हो सका। इसीलिए आदिल शाह ने शिवाजी के पिता शाहजी को गिरफ्तार करवाया। इस खबर की सूचना पाते ही शिवाजी महाराज बहुत आग बबूला हो गए।

अपने प्रखर बुद्धि, नीति और साहस के बलबूते उन्होंने अपने पिता को इस कैद से आजाद करवाया।शिवाजी के इस अद्भुत कार्य को देख बीजापुर के शासक आदिल शाह ने शिवाजी को जीवित अथवा मुर्दा पकड़ लाने का आदेश देकर अपने मक्कार सेनापति अफजल खां को भेजा। अफजल खान भाईचारे व सुलह का झूठा नाटक रच कर शिवाजी को अपनी बाहों के घेरे में लेकर मारने का प्रयत्न किया । सही समय पर शिवाजी की समझदारी ने उन्हें बचा लिया तथा हाथ में छिपे बघनक का वह शिकार हो गया तथा मारा गया। अफजल खान को मृत  पाकर उसकी सेना और सेनापति वहां से भाग खड़े हुए।

मराठा साम्राज्य की स्थापना(SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया। उनका राज्यभिषेख 1674 में रायगढ़ में हुआ था |सन 1674 में शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के शासक बने। शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र के रायगढ़ में ताज पहनाया गया। शिवाजी महाराज राष्ट्रीयता के  जीवंत प्रतीक एवं परिचायक थे ।इसी कारण निकट अतीत के राष्ट्रपुरुष में महाराणा प्रताप के साथ-साथ इनकी भी गणना की जाती है।

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शिवाजी महाराज की जयंती(SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के देवता के रूप में जाने जाते हैं। उनके  अलौकिक प्रतिभा के कारण महाराष्ट्र में हर वर्ष 19 फरवरी को शिवाजी जयंती बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है। शिवाजी महाराज का नाम एक हिंदू शासक के रूप में भी जाना जाता है।

शिवाजी महाराज की मृत्यु(SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

 शिवाजी महाराज  ने अपने जीवन काल में अनेक प्रकार के वीरता पूर्ण कार्य को पूरा किया। उन्हें एक आदर्श एवं महान राष्ट्रपुरूष के रूप में भी स्वीकारा जाता है। लंबी बीमारी के कारण शिवाजी महाराज का रायगढ़ में  3 अप्रैल 1680   को स्वर्गवास हो गया।

निष्कर्ष (SHIVAJI MAHARAJ JAYANTI)

 जब तक शिवाजी महाराज जिंदा रहे तब तक उनकी प्रजा को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं हुआ। उन्होंने अपने शासनकाल में समाज में फैले हुए अनेक प्रकार के अपराध तथा भ्रष्टाचार को दूर करने का प्रयत्न किया। वे अपने जीवन काल के अंतिम सांस तक अन्याय के विरुद्ध लड़ाई लड़ते रहे। शिवाजी महाराज आज भले ही हमारे बीच न हो पर उनकी देशभक्ति आज भी लोगों को जागृत करती रहेगी। अंत में यही कहूंगा कि धन्य है इस महान शासक का जिसने भारत जैसे भूमि में जन्म लिया।

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